Digital Literacy Module-1 Introduction to Computer
Introduction to Computer – 2023 Free Digital Literacy Module-1 इस module में हम आपको Computer के introduction के बारे में बताने जा रहे है | Introduction to Computer – 2023 Free Digital Literacy Module-1 में आपको computer के introduction के साथ-साथ Computer को कितने भागों में बनता जा सकता है | Computer हार्डवेयर क्या होता है? Computer का सॉफ्टवेर क्या होता है? इत्यादि के बारे में जानकारी दी जाएगी | Computer Tutorials Live आपके लिए लेकर आया है “Digital Literacy Course” जिसमें आप आज का टॉपिक पढेंगे “Digital Literacy Module-1 Introduction to Computer” जिसमें आपको कंप्यूटर के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी |
What is Computer?
आईये हम एक शब्द Computer से शुरू करते है | Computer एक Electronic Device है जिसका प्रयोग गणनाएं करने के लिए किया जा रहा है | अगर Computer नहीं होता तो हमारा क्या होता ? कभी आपने इस बात पर विचार किया है | Computer शब्द Latin भाषा के शब्द “Compute” से लिया गया है | जिसका मतलब है “To Calculate” यानि गणना करना |
कंप्यूटर एक मशीन है जो जानकारी को संचित करने, ढूँढ़ने व व्यवस्थित करने, परिकलन करने व अन्य मशीनों पर नियंत्रण रख पाने के लिए बनाई गयी है |
Computer यूजर से Input के रूप में Data लेता है और उसको Process करने के बाद Monitor (Output) पर आउटपुट प्रदान करता है | Computer बनाने की शुरुआत Calculator बनाने से की गयी थी |
ABACUS:
कंप्यूटर के बनने से पहले लोग छड़ी, हड्डी और पत्थरों से गणनाएं करते थे | आईये कुछ कैलकुलेटर डिवाइस के बारे में जानते है | ABACUS एक कैलकुलेटर था जिसका अविष्कार चाइना में 16वी. शताब्दी में हुआ था | ABACUS एक लकड़ी का एक फ्रेम था जिसमें लोहे की छड़ें डाली गयी थी | इन छड़ों में सीमेंट के मनके डाले गये थे | जिनको अलग-अलग रंगों से रंगा गया था | जिनसे calculation की जाती थी | ABACUS का पूरा नाम Abundant Beads Addition and Calculation Utility System है | जिसका हिंदी नाम प्रचुर मात्र में मोतियों का जोड़ और गणना उपयोगिता प्रणाली है |
Napier’s Bones:
नेपिएर बॉन ने हाथ से चलने वाले एक गणना करने के यंत्र का अविष्कार किया | इस यंत्र को John Napier ने 1550-1617 में संचालित किया था | इसलिए इसका नाम Napier Bone रखा गया था |
Pascaline:
इस का अविष्कार 17वी. शताब्दी के शुरू में Blaise Pascal ने किया था | Blaise Pascal एक फ्रेंच मथेमैटीसियन और फिलोसोफेर थे | ये एक लकड़ी का एक बॉक्स था जो जोड़ और घटा ही कर सकता था |
Difference Engine:
Difference Engine को Charles Babbage ने बनाया था | Charles Babbage को कंप्यूटर की पिता कहा जाता है | Charles Babbage ने Difference Engine का अविष्कार मैथमेटिकल टेबल को compile करने के लिए बनाया गया था | Charles Babbage ने इसको 1821 में बनाना शुरू किया और साल 1832 में इसको पूरा कर लिया | लेकिन Charles Babbage एक ऐसी मशीन बनाना चाहते थे जो एक ही तरह की गणितीय कार्य को न करके किसी भी तरह के कार्य को करने में समर्थ हो | एक दुसरे कैलकुलेटर जिसका नाम Analytical Engine था 1856 में इस पर कार्य शुरू किया गया |
ऊपर दिए गये Introduction to Computer – Digital Literacy Module-1 में आपने कंप्यूटर के बारे में जानकारी प्राप्त की | अभी हम “Introduction to Computer – Digital Literacy Module-1” के बारे में विस्तार से जानते है |
Computer Parts:
Computer को दो भागों में बांटा जा सकता है |
- Hardware
- Software
Hardware:
Computer का वह भाग जिसको देखा (See) व् छुआ (Touch) जा सकता है Hardware कहलाता है | Computer का hardware ही कंप्यूटर का मुख्य भाग होता है | कंप्यूटर का हार्डवेयर; सॉफ्टवेर की तुलना में सस्ता होता है |
Software:
Computer का वह भाग जिसको सिर्फ देखा जा सकता है छुआ नहीं जा सकता सॉफ्टवेर कहलाता है | Computer का सॉफ्टवेर प्रोग्राम का एक सेट होता है जिसको एक Software Developer के द्वारा बनाया जाता है | Software Developer कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का एक एक्सपर्ट होता है | सॉफ्टवेर को बनाना एक जटिल प्रक्रिया होती है |
Types of Computer Hardware (कंप्यूटर हार्डवेयर के प्रकार):
Computer Hardware को चार भागों में बांटा जाता है | 1. Input Devices 2. Processing Devices 2. Storage Devices 4. Output Devices. कंप्यूटर Hardware को इन चार भागों में उसके कार्य के हिसाब से बांटा गया है | Computer में सबसे पहले User के द्वारा Input Device की सहायता से Data और Instructions को इंटर किया जाता है | Data और Instructions के इंटर करने के बाद वो Data या Instruction कंप्यूटर के CPU के द्वारा प्रोसेस किया जाता है | CPU हमारे कंप्यूटर में एक Processing Device है जिसका कार्य Computer User के द्वारा इंटर किये गये Data या Instruction को प्रोसेस करना है |
CPU के दो भाग होते है 1. ALU (Arithmetic Logic Unit), 2. CU (Control Unit) ALU हमारे कंप्यूटर में मैथमेटिकल और लॉजिकल कार्य करने के लिए इस्तेमाल होता है | वहीँ CU का मुख्य कार्य कंप्यूटर के निर्देशों को बनाये रखना और डाटा के फ्लो को कण्ट्रोल करना होता है |
Computer में Data की processing होने के बाद Data की Storage होती है | Computer में दो तरह की स्टोरेज होती है | जिनको नीचे विस्तार से बताया गया है |
Computer Storage Devices (कंप्यूटर की स्टोरेज डिवाइस):
Computer में दो तरह की Storage Device होती है | 1. Primary Storage (प्राथमिक स्टोरेज) 2. Secondary Storage (द्वितीयक स्टोरेज)
Primary Storage Devices of Computer:
Computer में दो तरह की Primary Storage का इस्तेमाल होता है |
- RAM (Random Access Memory)
- ROM ( Read Only Memory)
RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी):
RAM – Random Access Memory हमारे कंप्यूटर की प्राथमिक मेमोरी होती है | जिसका कार्य कंप्यूटर में temporary फाइल्स को स्टोर करना और रिजल्ट को स्टोर करने के लिए किया जाता है | RAM की प्रकृति volatile (वाष्पीय) होती है |
Computer के बंद हो जाने के पर RAM में रखा गया सारा Data और File डिलीट हो जाती है | इसलिए RAM को वाष्पीय कहा गया है | किसी भी फाइल में काम करते समय उसकी डुप्लीकेट कॉपी RAM में रहती है |
बिजली चले जाने और कंप्यूटर के बंद होने की स्थिति में RAM में रखी गयी फाइल ही डिलीट होती है वास्तविक फाइल हमारे कंप्यूटर की Secondary Storage – HDD (Hard Disk Drive) में सुरक्षित रहती है |
ROM – (रीड ओनली मेमोरी):
ROM – Read Only Memory हमारे कंप्यूटर में प्राइमरी मेमोरी में आती है | ROM में कंप्यूटर BIOS की इनफार्मेशन होती है | ROM का इस्तेमाल कंप्यूटर के firmware software को अपडेट रखना होता है |
Firmware कंप्यूटर में Hardware और Software के मिश्रण firmware कहलाता है | जिस भी Hardware अथवा Storage में Software इनस्टॉल कर दिया जाता है वह firmware कहलाता है | उदाहरण के लिए कंप्यूटर की ROM में कुछ प्रोग्राम पहले से इनस्टॉल मिलते है जो Firmware का एक उदाहरण है | ROM में इनस्टॉल किये गये प्रोग्राम्स में कंप्यूटर BIOS की जानकारी होती है |
जिसका मुख्य कार्य Computer के Operating System (Window) को load करवाना होता है | आधुनिक मोबाइल phone में भी ROM होता है जो उनको स्टार्ट करने में सहायता करता है |
ROM के कई अन्य रूप भी इस्तेमाल किया जाते है | जैसे PROM, EPROM, EEPROM, EEEPROM
- PROM – Programmable Read Only Memory
- EPROM – Erasable Programmable Read Only Memory
- EEPROM – Electrically Erasable Programmable Read Only Memory
- EEEPROM – Electrically & Electronically Erasable Programmable Read Only Memory
Secondary Storage Devices of Computer:
Secondary Storage Device में बहुत सी स्टोरेज डिवाइस आती है | Secondary Storage Device का Storage Capacity Primary Storage डिवाइस से ज्यादा होती है | Secondary Storage डिवाइस डाटा को लम्बे समय तक संभाल कर रख सकती है | Secondary Storage Device के नाम नीचे दिए गये है |
- HDD – Hard Disk Drive
- FDD – Floppy Disk Drive
- PD – Pen Drive
- CD – Compact Disk
- DVD – Digital Versatile Disk
- Tape
इन सभी Secondary Storage Devices के बारे में विस्तार से आने आने वाले चैप्टर्स में पढेंगे |
Output Devices:
Computer के द्वारा प्रोसेस की गयी सुचना को User तक पहुचने के लिए जिन Devices का इस्तेमाल होता है वो सभी डिवाइस Output Device कहलाती है | Computer के द्वारा process की गयी इनफार्मेशन को Audio, Video और Physical Reproductions (भौतिक प्रजनन) में बदल देती है | Computer में निम्नलिखित प्रकार की output devices का इस्तेमाल होता है |
- Monitor
- Printer
- Speaker
- Plotter
- Projector
इन सभी Output Devices के बारे में हम आगे आने वाले चैप्टर्स में विस्तार से पढेंगे |
Software:
Computer का वह भाग जिसको सिर्फ देखा जा सकता है छुआ नहीं जा सकता सॉफ्टवेर कहलाता है | सॉफ्टवेर शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 1960 के दशक में किया गया था | सॉफ्टवेर इंस्ट्रक्शनस का एक सेट होता है जो Computer हार्डवेयर के किसी विशेष प्रकार के कार्य को करवाने की क्षमता रखता है | दुसरे शब्दों में कहा जाये तो Software निर्देशों का एक समूह है Computer जिसका अनुसरण करता है | Computer के Software को दो भागों में बांटा जा सकता है |
- System Software (Operating System)
- Application Software
System Software:
System Software वह सॉफ्टवेर होता है जिसका मुख्य कार्य कंप्यूटर को चलाना और उसकी सभी गतिविधियों को नियंत्रित करना है | System सॉफ्टवेर को बनाना एक जटिल और लम्बी प्रक्रिया है | जिसके लिए आपको कंप्यूटर के क्षेत्र में अत्यधिक जानकारी होनी चाहिए | इसको बनाने में सालों लग सकते है |
Application Software:
Application Software वह सॉफ्टवेर होता है जिसका कार्य कंप्यूटर से किसी विशेष कार्य को पूरा करवाना होता है | System सॉफ्टवेर और Application सॉफ्टवेर के बारे में विस्तार से आगे आने वाले चैप्टर्स में पढेंगे |
आपको हमारा “Digital Literacy Module-1 Introduction to Computer” कैसा लगा | अगर आपको हमारा आज का आर्टिकल “Digital Literacy Module-1 Introduction to Computer” अच्छा लगा तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपना प्रतिउत्तर लिख भेजें |
इन्हें भी जरुर पढ़ें
डिजिटल लिटरेसी मोड्यूल-2 – इन्टरनेट क्या होता है?
कंप्यूटर क्या है ? कंप्यूटर की परिभाषा, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेर में अंतर
Facebook || Telegram Channel || Twitter